छत पे बेटे ने क्या नाटक लगाया है
चुल्लू भर पानी में चंदा डुबाया है
कहता है रोज़ चाँद तोहफ़े में देता है
किसीको दिया एक वादा निभाया है
शायद कॉलेज में कोई पसंद है इसे
टीचर ने भी अटेंडेंस फुल ही बताया है
कुछ दिन से घर के सारे काम कर रहा है
कुछ बड़ा मांगने का प्लान बनाया है
उसकी मीठी बातों में न फस जाना तुम
कोयल भी कहता है घोसला बसाया है
आ गए बेटे हाथ में नया शेर है क्या
पुराने हैं पापा पहले सुनाया है
रहने दो जनाब आंखों में साफ दिखता है
कोई है जिसने रात का चैन चुराया है
ये किताब तुम रोज़ खोलने लगे हो ‘मिसरा’
बोलो किसका दिया गुलाब छुपाया है
Leave a reply to Gifts – Minakhi Misra Cancel reply