तेरी शादी में बोल क्या ले आऊं
दुआ नहीं है दवा ले आऊं
बंद रखता है खिड़की शोहर तेरा
बोतल में भरके फ़िज़ा ले आऊं
पक्का आंगन महकने से रहा
पहली बारिश का मज़ा ले आऊं
छुप कर अब तू पी नहीं सकेगी
इत्र में घोल के नशा ले आऊं
पकाना तो तुझे पसंद नहीं
मैं दो डब्बे हर सुबा’ ले आऊं
आवाज़ दे “मिसरा” गर खुश नहीं है
वहां से तुझे भगा ले आऊं