जितनी देर में ये पल जायेगा
मेरे गुस्से से सब जल जायेगा
हमारे रिश्ते की मीनारों का
वो फ़ौलाद भी गल जायेगा
टूटते तारे से मांगी वो दुआ
उस ही तारे सा ढल जायेगा
आंसुओं से आज बचा लोगे पर
उनमें डूब हमारा कल जायेगा
जितनी देर में ये पल जायेगा
मेरे गुस्से से सब जल जायेगा
हमारे रिश्ते की मीनारों का
वो फ़ौलाद भी गल जायेगा
टूटते तारे से मांगी वो दुआ
उस ही तारे सा ढल जायेगा
आंसुओं से आज बचा लोगे पर
उनमें डूब हमारा कल जायेगा
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Comments
One response to “गुस्सा”
[…] Translated from my Hindi poem Gussa. […]
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