इतने दिनों बाद…

आये थे तो रुक के मिल लेते
कुछ रिश्तें दोबारा सिल लेते

सपने चौखट पे तोड़ गए पर
वापस तोहफ़ा-ए-दिल लेते

जो देख कईं शब गुज़ारे थे
फिर वो नज़ारा-ए-तिल लेते

ये बाग़ तुमने ही सजाया था
रुकते तो तुम भी खिल लेते


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Comments

One response to “इतने दिनों बाद…”

  1. […] Translated from my Hindi poem, इतने दिनों बाद… […]

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