उन जैसे लोगों से लड़ाई फ़ुज़ूल है
जो कहते हैं चाय पे मलाई फ़ुज़ूल है
नए नए कर्ज़ों में फसना ही है जब
पुराने कर्ज़ों से रिहाई फ़ुज़ूल है
अदालत के फ़ैसले से डर ही नहीं तो
अदालत में नई सुनवाई फ़ुज़ूल है
जो बेटी के होने पे रोते हैं उनपे
बेटे के होने की बधाई फ़ुज़ूल है
लिंग की लंबाई से नापते हैं यहां तो
समझदारी की इकाई फ़ुज़ूल है
दो वक़्त का सुकून भी नसीब नहीं जब
ये राजाओं जैसी कमाई फ़ुज़ूल है
नौकरी से खुद इस्तीफ़ा दे आ ‘मिसरा’
इस जंगल में तेरी परसाई फ़ुज़ूल है