सब जानते हैं ऐसा कभी हुआ नहीं
कि गलत मैं हूं सारी दुनिया नहीं
मशवरा देने सब तय्यार बैठे हैं
ज़ुबां पे किसीके सच्ची दुआ नहीं
वो ख़ुदा है क्या कि हर रास्ता उस तक है
कोई गलत मोड़ नहीं जो लिया नहीं
इकलौता दिल था जो उसे दे दिया था
वो चली भी गयी दिल वापस किया नहीं
खाली हाथ ही जाता हूं किसी से मिलने
सब दे चुका हूं देने कुछ रहा नहीं
नए बदन से लिपटता हूं मगर
इस बदन को उस बदन से वफ़ा नहीं
मुशायरों में बस तरस मिलता है अब
कहते हैं ये पहले सा ‘मिसरा’ नहीं
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