मयनोशी की गुज़ारिश नहीं की
मदहोशी की गुज़ारिश नहीं की
रात को हंगामा ओढ़े सो गया
ख़ामोशी की गुज़ारिश नहीं की
सुबह तक दिल खुश था कि खूँ ने
गर्मजोशी की गुज़ारिश नहीं की
होश में था जब जर्राह ने दिल सीया
बेहोशी की गुज़ारिश नहीं की
शुक्र है बदनामी से बचने मैंने
रूपोशी की गुज़ारिश नहीं की
इस राज़ को शिक़वा है ‘मिसरा’ ने
सरगोशी की गुज़ारिश नहीं की