Minakhi Misra

  • Books
  • Poems
  • Stories
  • Opinions
  • Hindi
  • Archives
  • Library
  • आओ

    कोई तो सुन लो इन दीवारों के सिवा
    कुछ ग़ज़ल भी हैं मेरे शिक़वों के सिवा

    कभी आओ देखो मेरा कमरा यहां
    सब बराबर रखता हूँ वादों के सिवा

    मेरी किताबों से मिल कर खुश हैं ग़ुलाब
    कि घर है इनका तेरे बाग़ों के सिवा

    कुछ नहीं जिसपे भरोसा न कर सको
    मेरी इन मीठी मीठी बातों के सिवा

    सब हारोगे मेरे सामने कुछ न होगा
    दाव पे लगाने जज़्बातों के सिवा

    मुझे गर जानना है तो साथ चलो ‘मिसरा’
    जहां कोई न हो हम दोनों के सिवा

    June 6, 2021
    Hindi, Poems
  • कौन सुनेगा

    और की फरियादें कौन सुनेगा
    एक सी हैं हालतें कौन सुनेगा

    रोतें हैं गुलाब जब बाग़बान के हाथ
    कट जाते हैं कांटें कौन सुनेगा

    बजे चाहे हर दिन वो धुन जिसपे
    झूमतीं हैं बरसातें कौन सुनेगा

    नींद में हैं जो जुर्म में नहीं शामिल
    चीख रहीं है रातें कौन सुनेगा

    मैंने किसी की सुनी नहीं जब
    आज मेरी ये बातें कौन सुनेगा

    अफ़सोस सिर्फ़ करम बोलता है ‘मिसरा’
    साफ़ होंगीं इरादें कौन सुनेगा

    June 5, 2021
    Hindi, Poems
  • हादसा

    मुद्दतों बाद फिर से सामने खड़ा कर दिया
    क्या खाईश है ख़ुदा का जो ये हादसा कर दिया

    एक दूजे के आंसुओं के इंतेज़ार में थे क़ैद
    बारिश ने रहम की और हमें रिहा कर दिया

    कुछ फ़ुज़ूल सी बातें करने लगे हम दोनों
    इन महीनों में ये हुआ फलाना कर दिया

    बार बार वो पूछती रही कि सब ठीक है न
    उसे डर था जुदाई ने दीवाना कर दिया

    मुझे खुशी थी कम-से-कम वो खुश दिख रही है
    तो गुस्से की आग को ही मैंने स्वाहा कर दिया

    मैंने चेहरे पे बड़ी सी मुस्कान रखके उसे
    एक नैपकिन का ग़ुलाब देके रवाना कर दिया

    फिर उतनी ही तक़लीफ़ हुई रूह-ओ-दिल में ‘मिसरा’
    हमने दोबारा एक दूजे को मना कर दिया

    June 4, 2021
    Hindi, Poems
  • नौकरी कौन देगा

    मेरी शर्तों पे मुझे नौकरी कौन देगा
    काफ़ी हैं मेरे नख़रे नौकरी कौन देगा

    पैसा ख़ूब चाहिए पर घंटे बहुत कम
    ऐसी मांगों को सुनके नौकरी कौन देगा

    खुली लग़ाम भी हो और मैं पहनूं भी न
    यूँ मनमर्ज़ी चलाने नौकरी कौन देगा

    जो सब को ख़ुद मना किये जा रहा है
    उसी को फिर मनाके नौकरी कौन देगा

    हज़ारों हैं मेरे जैसे दिमाग़वाले
    उन सब में मुझे चुनके नौकरी कौन देगा

    अब तो ख़ुद का ही कुछ खोलना होगा ‘मिसरा’
    मेरे अलावा मुझे नौकरी कौन देगा

    June 3, 2021
    Hindi, Poems
  • नफ़्स

    जिहाद-ए-असग़र जीत के दुनिया हासिल किया
    पर अंदर नफ़्स से हार गए तो क्या हासिल किया

    डूबे ही रहे अपने ज़रूरतों में गर तुम
    तुमने बस अपना नफ़्स-अल-अम्मारा’ हासिल किया

    ज़माने को बक्श कर की ख़ुद से सवालात जिसने
    उसी ने अपना नफ़्स-अल-लुव्वामा’ हासिल किया

    न गुरूर हो न नाज़ हो अपनी नैकि पे जिसे
    समझो उसीने नफ़्स-अल-मुल्लामा’ हासिल किया

    दिल में सख़ावत रख के जिसने की तस्लीम-ए-जान
    उसी ने तो नफ़्स-अल-मुतमा’इना’ हासिल किया

    जो न कल में न कल में बस अभी में जीता हो
    जान लो उसने नफ़्स-अल-रदिय्या’ हासिल किया

    जो खुद चराग़ बनके ख़ुदा की रोशनी फैलाये
    देखो उसीने नफ़्स-अल-मर्दिय्या’ हासिल किया

    दुनिया का हो के भी होगा इंसान-ए-क़ामिल
    अगर किसीने नफ़्स-अल-सफ़िय्या’ हासिल किया

    June 2, 2021
    Hindi, Poems
  • बहुत छुट्टी मार ली

    चलो लिखने बैठो बहुत छुट्टी मार ली
    बस नाम के थके हो बहुत छुट्टी मार ली

    किसी और के पढ़ने के लिए न सही
    अपने लिए लिख दो बहुत छुट्टी मार ली

    तुम्हारा चक्रा खतम है तो क्या हुआ
    क्यूबि का निकालो बहुत छुट्टी मार ली

    आज तुम्हारे हाओशुको नु हाकी का
    इम्तिहान है मानलो बहुत छुट्टी मार ली

    कुछ न लिखने से कुछ भी लिखना बेहतर है
    ‘मिसरा’ का नाम रखलो बहुत छुट्टी मार ली

    June 1, 2021
    Hindi, Poems
  • चुनूँ

    मुसलमान चुनूँ या हिंदू चुनूँ
    ख़ुदा का ही है जो बाज़ू चुनूँ

    फिर उछला है आज किस्मत का सिक्का
    फिर न पता कौनसा पहलू चुनूँ

    सनम का इत्र या माँ के परांठे
    चुनूँ भी तो कौनसी ख़ुशबू चुनूँ

    कौनसा हुस्न टपक रहा है उसका
    कि पैमाना छोड़ के चुल्लू चुनूँ

    मुझे कौन ही रू-ब-रू चुनेगी
    क्या किसी को मैं रू-ब-रू चुनूँ

    ज़हर की तलब न बुझी शेर से
    सांप चुनूँ ‘मिसरा’ या बिच्छू चुनूँ

    May 31, 2021
    Hindi, Poems
  • कुछ नहीं

    याद में क़ुर्बानियों के सिवा कुछ नहीं
    है आंख में पानियों के सिवा कुछ नहीं

    सबके दिलों में झांकता रहा वो दरविश
    मिला वीरानियों के सिवा कुछ नहीं

    फ़ुज़ूल बसेरा ढूंढ रहे हो इस दिल में
    यहां कहानियों के सिवा कुछ नहीं

    सदके में क्या ही देता जब मेरे पास था
    इन परेशानियों के सिवा कुछ नहीं

    मेरी तबाही की अस्तियों में मिला
    मेरी नादानियों के सिवा कुछ नहीं

    मेरी इक्का राजा की जोड़ी हार गयी
    उसके हाथ रानियों के सिवा कुछ नहीं

    क्यों गुरूर करूं इन तालियों पे ‘मिसरा’
    ये मेहरबानियों के सिवा कुछ नहीं

    May 30, 2021
    Hindi, Poems
  • यतिमस्तां

    देख वज़ीर की कैसी नमक-हरामी है
    मलिका से करता शीरीं-कलामी है

    ताज छोड़के कबका फ़क़ीर बन गया बादशाह
    शायद जानता था कि ताज बस ग़ुलामी है

    सूख कर पत्ते जब गिरे उसके कासे में
    जज़ामी जान गया पेड़ भी जज़ामी है

    सिपाही को डर है सर्दी में जंग होगी
    रात को भागता आया एक पयामी है

    सुबह उफ़क़ पे किसका परचम दिखेगा
    ये सवाल निजी ही नहीं अवामी है

    ख़ुदा शैतान दोनों की बोली लगी है
    कल तो पूरे मुल्क़ के कल की नीलामी है

    May 29, 2021
    Hindi, Poems
  • बाद

    नई घास उगी है अब यलगारों के बाद
    गले मिलें हैं दुश्मन नुकसानों के बाद

    यकीं था फिरौन को वो बेमौत रहेगा
    महफूज़ इस मक़बरे में सदियों के बाद

    अपने नाम का धागा बांधा पेड़ पे माँ ने
    बेटियों के नाम के हज़ार धागों के बाद

    हैरान था काफ़िर मिलने ख़ुदा जब आया
    कि लायक था वो इतने गुनाहों के बाद

    लूटता ही रहा इस उम्मीद में डाकू
    कि मिलेगी नींद सारे ख़ज़ानों के बाद

    झूमता ही रहा ख़ुदा के नाम पे दरविश
    नादान ज़माने के सब ज़िल्लतों के बाद

    लिखते लिखते इतना याद रखना ‘मिसरा’
    काफ़ी और लिखना है इन अश’आरों के बाद

    May 28, 2021
    Hindi, Poems
Previous Page
1 … 60 61 62 63 64 … 72
Next Page

Thank You.

Readers like you help me make my best art every day. The simplest way to support my work is to buy my books, or make a donation.

Privacy Policy | Terms of Service | Return & Refund Policy | WordPress | Contact

  • Follow Following
    • Minakhi Misra
    • Join 34 other followers
    • Already have a WordPress.com account? Log in now.
    • Minakhi Misra
    • Edit Site
    • Follow Following
    • Sign up
    • Log in
    • Report this content
    • View site in Reader
    • Manage subscriptions
    • Collapse this bar