मेरी शर्तों पे मुझे नौकरी कौन देगा
काफ़ी हैं मेरे नख़रे नौकरी कौन देगा
पैसा ख़ूब चाहिए पर घंटे बहुत कम
ऐसी मांगों को सुनके नौकरी कौन देगा
खुली लग़ाम भी हो और मैं पहनूं भी न
यूँ मनमर्ज़ी चलाने नौकरी कौन देगा
जो सब को ख़ुद मना किये जा रहा है
उसी को फिर मनाके नौकरी कौन देगा
हज़ारों हैं मेरे जैसे दिमाग़वाले
उन सब में मुझे चुनके नौकरी कौन देगा
अब तो ख़ुद का ही कुछ खोलना होगा ‘मिसरा’
मेरे अलावा मुझे नौकरी कौन देगा