घर घर जलते पटाखों की दिवाली है
डरे डरे परिंदों की दिवाली है
धुएं ने तारे ढक लिए तो क्या हुआ
आज हवाई लालटेनों की दिवाली है
खिड़कियों से कपड़े उतर गयें हैं आज
मदहोश भटके रॉकेटों की दिवाली है
पड़ोसी जल जाए यूँ सजे हुए हैं
इमारती दुल्हनों की दिवाली है
रात भर चलेंगे हाईवे की अंधेरों में
आज जिस्मानी बाज़ारों की दिवाली है
कल से फिर जिन्हें कोई नहीं पूछेगा
आज उन लावारिस बच्चों की दिवाली है
कुछ तक़लीफ़ें हैं पर ये भी सच है कि आज
मिसरा खानदान में अपनों की दिवाली है