शिकायत

सबको हम से यही शिकायत है
कि हमको सब से ही शिकायत है

गुज़रते हुए हर पल को मुझसे
माज़ी में जीने की शिकायत है

उसके बाहों में कैसे सो जाऊं
वहां तो घुटन की शिकायत है

अपना कुछ अलग करना है पापा
सागर से क़तरे की शिकायत है

सरकार से बस इक सवाल पूछा था
उन्हें लगा नई शिकायत है

कुछ लेके कुछ ज़्यादा दिया ‘मिसरा’
क्यों ख़ुदा से फिर भी शिकायत है


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