ज़िन्दगी मुझसे रूठने को तय्यार नहीं
और ये दिल है कि टूटने को तय्यार नहीं
सुना था शायरी में किस्मत फूटती है
मेरी किस्मत है कि फूटने को तय्यार नहीं
राशन के बहाने किताबें बेच आया
पर अदब है कि छूटने को तय्यार नहीं
ज़र-ओ-ज़ेवर लिए सर-ए-दार हो गया
पर कोई मुझे लूटने को तय्यार नहीं
तय्यार खड़ा हूँ मांगते खाहिशें ‘मिसरा’
सितारा है कि टूटने को तय्यार नहीं
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