दर दर हर दरवाज़े को मैं
खट खट क्यों खटकाता हूँ
कौन है जिसके ख़ौफ़ में यूँ
घर घर घूम घबराता हूँ
“धिक्कार है धिक्कार है
तेरा हर काम बेकार है
तू खुद का नमक-हराम है
तू खुद का ही गद्दार है”
शब शब इस शाबाशी को सुन
पग पग क्यों पगलाता हूँ
कौन है जिसके ख़ौफ़ में यूँ
घर घर घूम घबराता हूँ
“सब ने नाम कमाया है
अपना वजूद बनाया है
एक तू ही पिछड़ गया यहाँ
दुनिया ने रेस लगाया है”
किस किस के किस्मत के किस्से
दो दो कर दोहराता हूँ
कौन है जिसके ख़ौफ़ में यूँ
घर घर घूम घबराता हूँ
ये किस किसम का साया है
जो हर ओर यूँ छाया है
क्या मेरे ही आवाज़ में मुझको
शैतां ने बुलाया है
पथ पथ हर पत्थर को भी मैं
पल पल क्यों पलटाता हूँ
कौन है जिसके ख़ौफ़ में यूँ
घर घर घूम घबराता हूँ
दर दर हर दरवाज़े को मैं
खट खट क्यों खटकाता हूँ
कौन है जिसके ख़ौफ़ में यूँ
घर घर घूम घबराता हूँ
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