Month: January 2018

  • नया साल मुबारक

    नए साल में सब मोहब्बत कर रहे हैं
    और हम हैं कि शिकायत कर रहे हैं

    वक़्त तो आ गया है कि वक़्त बदले
    पर हम फिर वही शरारत कर रहें हैं

    ‘अठरा में सुना है कि सब है माफ़
    हम भी इंतेज़ार-ए-इनायत कर रहे हैं

    लोग बनाने लगे हैं सपने हकीक़त
    हम हकीक़त ही क़यामत कर रहें हैं

    इजाज़त थी पढ़ने को एक ही मिसरा
    हम फ़िर तौहीन-ए-इजाज़त कर रहें हैं

    नए साल में सब मोहब्बत कर रहे हैं
    और हम हैं कि शिकायत कर रहे हैं