कागज़ के गेंदाफूल

कटे मिसरों के घाव लिए
बिखरे कागज़ के गेंदाफूल
याद करते हैं उन लम्हों को
जब क़लम का छूना भाता था

लावारिस हलके झोकों में
एक दूजे की दूरी को भेद
बात करते हैं उन सपनों की
जहाँ खुलके उड़ना आता था

2 responses to “कागज़ के गेंदाफूल”

So, what did you think about this?

Create a website or blog at WordPress.com